Sunday, August 9, 2009
आजाद की अनैतिक वाणी
इस समय पूरी दुनिया स्वाइन फ्लू नाम की महामारी से जुझ रही है। इस बीमारी ने कई जिंदगियों को निगल लिया है। अभी तक चार भारतीयों की भी जाने गई हैं। भारत में सबसे पहले इस बीमारी से पूणे में एक चौदह साल की लड़की की मौत हुई थी। रीदा शेख नाम की इस लड़की की मौत से परिजन दुखी हैं। सबने इस घटना पर खेद प्रकट किया, लेकिन उसी व्यक्ति ने खेद नहीं जताया, जिसे सबसे पहले जताना चाहिए था। मेरा इशारा हमारे देश के स्वास्थ्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की ओर है। उन्होंने रीदा की मौत को लेकर बयान तो दिया, लेकिन उस बयान ने रीदा के परिजनों के दुख को कम करने की बजाय और बढ़ा दिया। उन्होंने एक टेलीविजन चैनल पर बैठ कर कहा कि रीदा इलाज के लिए तीन अस्पतालों में गई थी। इस तरह से उसने पिचासी लोगों में स्वाइन फ्लू के वायरस को फैलाया। आजाद के इस बयान से परिजन हैरान हैं। अब वे आजाद से माफी और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वैसे उनकी ये मांग उचित भी है। आजाद ने ऐसा काम ही किया है कि उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। आजाद का ये बयान उनकी गैर जिम्मेदार रवैए को दर्शाता है। किसी भी देश के स्वास्थ्यमंत्री की मुंह से इस तरह के बयान की अपेक्षा जनता कभी भी नहीं कर सकती है। रीदा की जगह अगर आजाद की बेटी की मौत हुई होती, तो क्या वे इस तरह का बयान देते। क्या वे उस समय भी कहते की मेरी बेटी का इलाज तीन अस्पतालों में हुआ है और उसके संपर्क में आने से पिचासी लोगों में बीमारी फैली है। जिसके हाथों में देशभर के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी है, उस नेता के मुंह से इस तरह का बयान निकलना चिंतनीय है। आजाद को इस तरह का बयान देने से बाज आना चाहिए और अपनी इस गलती पर रीदा के परिजनों के साथ ही पूरे देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। चलीए मान लेते हैं कि रीदा ने पूणे में पिचासी लोगों एच1एन1 वायरस को फैलाया है, लेकिन इस ये बीमारी देश के बाकी हिस्सों में भी फैली है। इससे रोग से ग्रसित मरीजों की गुजरात और मुंबई में भी मौते हुई हैं। क्या आजाद साबह ये बताएंगे कि देश के जिन, जिन इलाकों में ये बीमारी फैली है, उन सभी जगहों पर रीदा इलाज कराने के लिए गई थी। वातानुकुलित कमरों में बैठ कर इस तरह का बयान देना बहुत आसान होता है। आजाद को इस तरह के बयान देने की बजाय स्वाइन फ्लू से निपटने के बारे में विचार करना चाहिए। वे किसी दुखी परिवार के घाव पर मरहम नहीं लगा सकते हैं, तो कम से कम उसे उकेरे, तो नहीं। वातानुकुलित कमरे में बैठ कर बयान दे देना बहुत आसान होता है, लेकिन काम करके दिखाना बहुत कठिन। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि सरकार इस बीमारी को लेकर चिंतित नहीं है, लेकिन जितनी तत्परता इससे निपटने के लिए दिखानी चाहिए थी, उतनी तत्परता देखने को नहीं मिल रही है। पूरी दुनिया इस हकीकत को जानती कि स्वाइन फ्लू एक-दूजे के संपर्क में आने से फैलता है। देश में अब तक स्वाइन फ्लू के 783 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 500 रोगियों का इलाज हो चुका है। इस घातक बीमारी का सबसे अधिक असर दिल्ली और महाराष्ट्र में देखा जा रहा है।
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