Saturday, March 10, 2012

एक मौत कई सवाल


एक मौत कई सवाल। सवाल प्राकृतिक सम्पदाओं की रक्षा की। सवाल आम लोगों की सुरक्षा की। सवाल मध्यप्रदेश की सियासत की। सवाल शिवाराज सिंह और उनके सिपारसलारों के उन दावों की, जो वो हर समय ताल ठोक कर दावे कहते हैं कि मध्यप्रदेश में सुशासन है। सवाल राजनीतिक पार्टियों की, खास कर सियासत की बागडोर संभाल रही पार्टियों की संवेदन शून्यता की, जो अकसर देखने को मिलती है। मुरैना में हुई आईपीएस नरेंद्र कुमार की मौत ने शिवराज सरकार को कटघड़े में खड़ा कर दिया है। इस मौत को लेकर हर तरफ से सवालों की बौछार हो रही है और शिवराज सरकार को उसका जवाब देते नहीं बन रहा है। इस मौत के सहारे मैं भी एक सवाल पूछ रहा हूं। हमें आजादी दिलाने वाले जांबाजों ने और देश में लोकतंत्र की स्थापना करने वाले सपूतों ने क्या यही उम्मीद की थी कि आने वाले दिनों में देश की बागडोर ऐसे संवेदनहीनों के हाथ में चली जाएगी, जो किसी शहादत की खिल्ली उड़ाएंगे। सबसे पहले मैं अपनी उस गुस्ताकी के लिए माफी मांगता हूं, जो मैंने इन सवालों की शुरुआत में की है। हकीकत जानने के बाद भी मैंने आईपीएस नरेंद्र कुमार की हत्या को मौत करार दिया है और उसी के सहारे सवाले उठाएं है। मैं इसके लिए शहीद नरेंद्र कुमार के परिजनों और पूरे देशवासियों से माफी मांगता हूं, लेकिन क्या करूं बीजेपी के तथाकथित कुछेक काबिल वक्ता ये मानने को तैयार ही नहीं है कि नरेंद्र कुमार की हत्या हुई है। उन्हीं वक्ताओं में शामिल है मीनाक्षी लेखी। ये बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। मीनाक्षी ने एक टीवी चैनल पर बैठकर जिस तरह से नरेंद्र कुमार की हत्या को लेकर शिवराज सरकार का बचाव किया, वो वाकई शर्मनाक था। मीनाक्षी जी ने जिस बेशर्मी का परिचय दिया, उसको देख कर ऐसा लगा कि अगर ऐसे लोगों के हाथों में हमारे देश की बागडोर है, तो ये मेरे लिए भी शर्म की बात है कि मैं भारत का नागरिक हूं। एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी की बार बार गुजारिश के बाद भी मीनाक्षी जी को अपनी गलती का एहसास नहीं हो रहा था। नरेंद्र हत्याकांड पर बोलते समय में मीनाक्षी की भाव भंगीमा राजनीतिज्ञों की संवेदनहीनता की कहानी बयान कर रही थी। हद तो तब हो गई जब मीनाक्षी जी ने नरेंद्र की हत्या पर अफसोस जताने की बजाए, उल्टे उन पर उगाही करने का आरोप लगा दिया।

1 comment:

  1. मध्यप्रदेश में बीजेपी शासन में ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही है कि किसी का भी रोम सिहर उठे। खैर जहां तक बीजेपी प्रवक्ता की बात है, तो वो शायत मनीष तिवारी जी से संबद्ध रखती होंगी। जो एक वीर की शहादत का खुलेआम मजाक उड़ा रहीं हैं। खुदा न खास्ते अगर ऐसी घटना उनके साथ होती है तो फिर उन्हें समझ में आयेगा कि क्या होता है जब कोई अपना इस तरह की मौत मरता है।

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