Thursday, February 16, 2012

काश हमारे देश के नेता और धर्म पुरोधा इनसे सीखते ?


मेरा एक दोस्त इन दिनों पटियाला में कार्यरत है। वो काफी दिनों से मुझसे पटियाला आने की जिद्द कर रहा था, लेकिन हर बार मैं उससे टाल-मटोल कर देता था। उसका जब कभी भी फोन आता था, बस एक ही शिकायत रहती थी कि तुम बहुत बहानेबाज हो। पिछली बार जब उसका फोन आया, तो कॉल रिसीव करते ही आवाज सुनाई दी कि तुम्हें मेरी कसम इस बार ना मत कहना। फिर उसका सवाल सुनाई दिया कि पटियाला कब आ रहे हो ? इस बार में मैं उसे ना कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। आखिरकार मुझे उसकी जिद्द के आगे झुकना पड़ा। ऑफिस से छुट्टी लेकर मैं पटियाला के लिए निकल पड़ा। रास्ते भर दिमाग में दो तरह की बातें चल रही थी। मैं उसे कोश रहा था लेकिन उससे मिलने की खुशी मेरे भी दिल में थी। पहली ये कि अजीज दोस्त से मुलाकात होगी और दूसरी ये कि साले की जिद्द के चलते कई काम कुछ समय के लिए टल गए। उन कामों को करना जरुरी था। उन कामों को निपटा लेता, तो अगले महीने पटियाला आ जाता। ये द्वंद्व पटियाला पहुंचने के बाद मिट गए। अब मैं अपने दोस्त का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे पटियाला आने के लिए जिद्द की। वैसे तो पटियाला में मैं बहुत जगहों पर घूमा। बहुत सारी चीजें यहां की अच्छी लगीं, लेकिन उनमें से भी सबसे अच्छा मुझे यहां का एक आश्रम लगा। वहां के लोग लगे। ये आश्रम है पटियाला-चंडीगढ़ रोड़ पर...खानपुर गांव में इस आश्रम को पटियाला के संस्थापक बाबा आला भगवान गिर जी ने बनवाया है। यहां के लोगों से जो जानकारियां मुझे मिली, उसके मुताबिक बाबा आला बाबा भगवान गिर जी के भक्त थे। उन्होंने डेरे के आसपास अपनी एक सौ साठ बीघे जमीन गिर जी को दान में देनी चाही, लेकिन बाबा ने जमीन को अपने नाम पर करने की बजाए बेजुबान कुत्तों के नाम करने को कह दिया, ताकि बाद में उनकी गद्दी पर बैठने वाले महंतों के मन में जमीन को लेकर कभी लालच न आए। तब से लेकर आज तक ये जमीन कुत्तों के नाम चली आ रही है। इस आश्रम में कुत्तों को तीनों टाइम मिस्सी रोटी, लस्सी समेत स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। महंत डेरे के चबूतरे पर खड़े होकर ‘आयो.आयो’ की आवाज लगाते हैं और देखते ही देखते दूरदराज बैठे कुत्तों का झुंड वहां इकट्ठा हो जाता है। महंत अपने हाथों से इन्हें भोग लगाते है। इसके बाद श्रद्धालुओं को लंगर बांटा जाता है। सुबह-शाम इनकी आरती की जाती है। आसपास के दर्जनों गांवों के लोग कुत्तों से मन्नत मांगने आते हैं। दिल्ली पहुंचने के बाद अब हमारे मन एक बात कौंध रही है कि काश हमारे देश के नेता और तथाकथित धर्म के पुरोधा पटियाला के संस्थापक आबा आला और भगवान गिर जी की त्याग भावना से कुछ सबस लेते?

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