Sunday, February 12, 2012

कैसे बदलेगा समाज ?


चलो हम भी कुछ दौड़ लें। जब सब लोग दौड़ रहे हैं,तो हम क्यों पीछे रहें। इसी सोच के साथ इस समय लोग एक रेस का हिस्सा बन रहे हैं और एक-दूसरे को पछाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कोई बैनर लगा रहा है, तो कोई सभाएं कर रहा है। कोई टेलीविजन चैनलों पर बैठकर खुद को सही और दूसरे को गलत बता रहा है, तो कई एसएमएस भेज कर लोगों से अपने साथ जुड़ने की गुजारिश कर रहा है। बात अगर यहीं तक रुक गई होती, तो कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन इन लोगों ने भ्रष्टाचार और भ्रूण हत्या को सिंबल बना कर, अब इस रेस में शादी जैसे पवित्र रिश्ते को भी शामिल कर लिया है। सात जन्म तक साथ जीने-मरने की कसमें खाने और एक-दूसरे के प्रति वफादार रहने के वादे के साथ लिए जाने वाले सात फेरों की रस्म को भी अब इन लोगों ने तोड़ना शुरू कर दिया है। पिछले एक सप्ताह में मध्यप्रदेश में इस तरह की दो घटनाएं देखने को मिली। पहली घटना जहां छतरपुर जिले में घटी, वही दूसरी घटना राजधानी भोपाल में। छतरपुर जिले में जहां रामनारायण और भावना नाम के दूल्हा-दुल्हन ने आठ फेरे लेकर खुद को बेटियों की हिमायती घोषित करने की चेष्ठा की। वहीं भोपाल में अंकित निखरा और रुचि नाम के दूल्हा-दुल्हन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए नौ फेरे लिए और ये दावा कर दिया कि वो जिंदगी में भ्रूण हत्या नहीं करेंगे और न ही भ्रष्टाचार करेंगे या करने देंगे, लेकिन अब सवाल ये पैदा हो रहा है कि क्या इस दिखावेपन से भ्रष्टाचार मिट जाएगा ? क्या कन्या भ्रूण की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा ? इस सवाल का जवाब सिर्फ और सिर्फ ‘नहीं ’है। अगर इन लोगों को वाकई देश हित में कुछ करना है, तो ये लोग ढकोसलेपन से दूर रहें और सबसे पहले अपने मन के अंदर के पाप को मारें। ये लोग खुद सही हो जाएंगे, तो धीरे-धीरे पूरा देश सही हो जाएगा। जब तक लोगों की कथनी और करनी में फर्क रहेगा, तो समाज में बदलाव कैसे आ सकता है ? भ्रष्टाचार कैसे मिट सकता है ? भ्रूण हत्या की घटनाएं भी कैसे रुक सकती हैं ?

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