Saturday, February 11, 2012

किस दिशा में जा रही है भारतीयों की मानसिकता ?


इस बात के लिए तो भारतीयों के दिमाग की दाद देनी ही पड़ेगी कि अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए वो हर रोज विरोध करने का नया-नया तरीका इजात कर रहे हैं। इस विषय पर काफी दिनों तक गहन चिंतन करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि ज्यादातर भारतीयों की शातिर दिमाग बौधिक विकास और देश की उन्नति के बारे में सोचने की बजाय दूसरों को नीचा दिखाने और अपनी चाहत को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता है। किसी और क्षेत्र में भारतीय आगे बढ़े हों या नहीं, लेकिन विरोध के नए-नए तरीकों को खोजने में जरुर अग्रसर हुए हैं। धरना-प्रदर्शन और मीडिया के जरिए अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों, शासन और प्रशासन की नीतियों की आलोचना करने की जगह लोग अब जूते-चप्पल और तमाचों का इस्तेमाल करने लगे हैं। पिछले दिन इस तरह की कई घटनाएं देखने को मिली है कि लोग ऑफिस में घुस कर किसी पर लात घुंसों की बरसात कर देते हैं, तो किसी पर किसी सभा के दौरान जूते-चप्पल फेंक देते हैं। विरोध करने की कड़ी में एक और नया तरीका जुड़ गया है। वो तरीका है शेरवानी पहन कर यानी ठाट-बाट में सज-धज कर पैरों में घुंघरू बांधना और फिर अपनी बात को कहने के लिए नाचना। पंजाब के श्रीमुक्तसर में एक पूर्व प्रिंसिपल ने खुद को बेकसूर बताने, अपनी बात को स्कूल प्रबंधन और आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने पैरों में घुंघरू बांध लिए। यहां के सेंट सोल्जर कान्वेंट स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल एमपी मित्तल इन दिनों शेरवानी और पैरों में घुंघरू पहन कर नाच रहे हैं। दरअसल मित्तल को स्कूल प्रबंधन ने कुछ समय पहले प्रिंसिपल पद से हटा दिया गया था। अब ये खुद को बेकसूर बता रहे हैं। मित्तल जी मैनेजमेंट पर धक्केशाही का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि वो इस स्कूल में लंबे समय से प्रिंसिपल के पद पर तैनात थे और अपना काम ईमानदारी से कर रहे थे, लेकिन पिछले 12 दिसंबर को उन्हें बिना कोई नोटिस दिए पद से हटा दिया गया और स्कूल में घुसने भी नहीं दिया गया।

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