Monday, September 7, 2009

कपिलाई मार गई...कपिलाई मार गई

एक हैं जनाब कपिल सिब्बल। पेशे से मशहूर वकील रहे हैं और मौजूदा समय में मानव संसाधन विकास मंत्री है। पहले इनकी काबिलियत पर मुझे जरा सा भी संदेह नहीं था, लेकिन अब मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जो मंत्रालय इन्हें दी गई है, उसके लायक नहीं हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री बने इन्हें अभी छह महीने भी नहीं हुए हैं। इतने कम समय में ही इन्होंने जो कारनामा किया है, उसे जानकर पूरा देश हैरान है। लोगों ने इनसे उम्मीद लगा रखी थी कि पढ़े-लिखे हैं,शिक्षा का विकास करेंगे, लेकिन इन्होंने विकास की बजाय विनाश करना शुरू कर दिया। सोमवार को सिब्बल साहब ने बड़े ही शान से ऐलान किया कि 10वीं की बोर्ड परीक्षा 2011 से वैकल्पिक कर दी जाएगी और 2010 से ग्रेडिंग प्रणाली लागू हो जाएगी। यानी सीधे शब्दों में कहें, तो अब सीबीएसई के स्कूलों पढ़ने वाले बच्चों को दसवीं बोर्ड की परीक्षा देने का तनाव नहीं झेलना पड़ेगा। जिस छात्र की मर्जी होगी, बोर्ड की परीक्षा देगा और जिसकी मर्जी नहीं होगी, वो नहीं देगा। इस घोषणा ने उनकी काबिलयत पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। महज दो वाक्यों वाली इस घोषणा ने देश के उन करोड़ प्रतिभाव छात्रों से ऐसा भद्दा मजाक किया है, जो अपने बूते मुकाम हासिल करने की हैसियत रखते हैं। मंत्री जी ने अपने फैसले के लिए दलील दी है कि इससे छात्र आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाएं, लेकिन मैं, तो कहता हूं कि अब और छात्र आत्महत्याएं करेंगे। हां फर्क सिर्फ इतना होगा कि पहले मंद बुद्धि के छात्र आत्महत्या करते थे। अब विलक्षण प्रतिभा के धनी छात्र करेंगे। इस घोषणा के साथ ही देशभर के छात्र ये गीत गाने लगे हैं कि एक तो आरक्षण की लड़ाई मार गई, दूसरे रिश्वतखोरों की बेवफाई मार गई, तीसरे पोपुलेशन की अंगड़ाई मार गई, चौथे चुतिया नेतों की चतुराई मार गई बाकी कुछ बच्चा तो कपिलाई मार...कपिलाई मार गई।

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