Wednesday, August 12, 2009

बाबा का बड़बोलापन

एक हैं बाबा राम देव। वैसे तो बाबा योग गुरु हैं, लेकिन भोग में भी इनकी गहरी दिलचस्पी है। राजनीति हो या फिल्म, अध्यात्म हो या कर्मकांड सभी क्षेत्रों में बाबा टांग अड़ा देते हैं। कभी ये फिल्म सितारों पर चुस्की लेते हैं, तो कभी राजनीति में आने की बात करते हैं। सुर्खियों में बने रहने के लिए बाबा समय-समय पर ऐसी वाणी बोलते रहते हैं, जिससे मीडिया का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। हाल ही में लगे सदी से सबसे लंबे सूर्यग्रहण के पहले बाबा ने मीडिया के माध्यम से ज्योतिषियों को चुनौती देकर वाहवाही बटोरी थी, लेकिन इसके बाद ये मीडिया की नजरों से दूर हो गए थे। हर जगह हर पल बाबा की चर्चा ना हो ये इन्हें कतई बर्दास्त नहीं है। बाबा का एक ही फंडा है कि चर्चा में बने रहने के लिए कुछ भी करेगा। इस बार बाबा रामदेव ने आदि गुरु शंकराचार्य के सिद्धांत ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या को चुनौती देकर मीडिया का ध्यान खींचा है। बाबा ने शंकराचार्य के दार्शनिक सूत्र और सनातन धर्म का बुनियादी सिद्धांत पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि इसने लोगों के काम करने की प्रवृति को नष्ट किया है। बाबा की इस कटु वाणी से देशभर के शंकराचार्य और धर्मगुरु नाराज हैं। कई धर्म गुरुओं ने तो यहां तक कह दिया है कि रामदेव को शंकराचार्य के बारे में जानकारी नहीं हैं। बहरहाल मैं तो ये नहीं कह सकता हूं कि बाबा को शंकराचार्य या सनातन धर्म के बार में जानकारी है या नहीं, लेकिन इतना जरुर कहूंगा कि बाबा कि इन उलजलुल बातों में पड़ने की बजाय योग के माध्यम से लोगों की सेवा करनी चाहिए।

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