Sunday, August 16, 2009

भारत और अमेरिका में फर्क

पंद्रह अगस्त को मैं अपने एक दोस्त के साथ बैठ कर टीवी देख रहा था। उस समय सभी न्यूज चैनल लाल किले से किए गए प्रधानमंत्री के वादों पर टिप्पणी कर रहे थे, तभी टेलीविजन स्क्रीन एक ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश हुई। वो खबर थी कि अमेरिका में बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को अपमानित किया गया। इसकी अगली लाइन थी कि शाहरुख को पूछताछ के लिए नेवार्क-न्यूजर्सी एअरपोर्ट पर दो घंटे तक बैठाया गया। इतना पढ़ने के बाद मैंने कहा साले अमेरिकी एशियाई मुल्क के लोगों के साथ अक्सर इस तरह का सलूक करते रहते हैं, लेकिन हमलोग अपमान का घूंट पीने के बाद भी चुप रह जाते हैं। इसके बाद मेरे दोस्त ने मुझसे कहा कि इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी तुम्हारी मानसिकता गुलामों जैसी है। तुम भी पूछताछ को अपमान मानते हो। उसने कहा कि कम से कम तुमसे तो ये उम्मीद नहीं थी कि इस तरह की बातें करोगे। आगे उसने कहा कि अच्छा ये बताओ कि हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने क्या बुरा किया। उसने कहा कि हवाई अड्डे कर्मचारियों को पूरा हक है कि जब तक वो पूरी तरह से संतुष्ट ना हो जाए कि कौन व्यक्ति कहां से आया है और कहां जाएगा, उसे बैठा सकते हैं। उससे पूछताछ कर सकते हैं। सुरक्षा के नजरिए से यही उचित हैं। इस पर मैंने कहा कि हमारे यहां, तो किसी अमेरिकी सिलेब्रिटी के साथ इस तरह से पूछताछ नहीं की जाती है, तो उसने फिर मुझे रोका और कहा कि यही तो भारत और अमेरिका में फर्क है। वो अपने अपने देश की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सतर्क रहते हैं, लेकिन हम इस मामले में काफी लापरवाह हैं। उसने कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति आम आदमी से भी माफी मांग लेता है। वहीं हमारे यहां सिलेब्रिटी अपने आपको भगवान मानते हैं। उसने कहा कि अमेरिका के इसी रवैए की वजह से नाइन इलेवन के बाद आज तक कोई आतंकी हमला नहीं हुआ, जबकि भारत में हर समय होते रहते हैं। वहां के लोग अपनी गलतियों से सीख लेते हैं, लेकिन हमलोग उसे बार-बार दोहराते हैं। उसने मुझसे पूछा कि अच्छा ये बताओ कि जब एक आम आदमी की जांच की जा सकती है, तो शाहरुख खान की क्यों नहीं। फिर उसने कहा कि देखना अब इसको लेकर हमारे देश में कितने जाहिल जपाट लोग जुलूस निकालेंगे। हुआ भी यही सलमान खान ने जब शाहरुख खान के साथ हुई पूछताछ को आम घटना बता दिया, तो कुछ आवारा प्रवति के लोग पहुंच गए सलमान के घऱ और करने लगे नारेबाजी। इसके बाद मुझे अपने आप पर बहुत ग्लानि हुई और मैंने पाया कि उस समय मैं गलत था और मेरा दोस्त सही।

1 comment:

  1. सबसे पहले ब्लॉग की दुनिया प्रवेश करने पर ढ़ेरों बधाई...

    जय हो...

    अमेरिकी एयरपोर्ट पर किंग खान के साथ हुए वर्ताव पर आपके दृष्टिकोण से मैं भी काफी हद तक इक्तफाक रखता हूं... लेकिन इस मुद्दे को कई एंगल से देखने की जरुरत है...
    ये सच है कि अमेरिका में एसियाई मुल्कों के वासिंदों को साथ दुर्व्यवहार होता है... लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हम अपनी सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर कितना चौकस है... चलिए जो भी हो टीवी वालों को दो-चार दिनों के लिए मासाला तो मिल गया...अब तो नेता भी इस मामले में अपनी रोटी सेकने लगे हैं... और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका... किंग खान कितना भी क्यों न कहे कि ये उनका पब्लिसीटी एसटंड नहीं था... लेकिन इसी बहाने उन्हें अपनी अगली फिल्म के लिए पब्लिसीटी तो मिल ही गया...
    पंकज मिश्रा

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